Monday 30 July 2012

The Story of my life





कहते हैं की प्यार अगर सच्चा हो तो जिन्दगी बदल देता है. मेरे साथ भी यही हुआ. मुझे भी अपनी जिन्दगी में एक लड़की से उस समय प्यार हुआ जब मुझे जिन्दगी के बारे में कुछ मालूम न था. ना जिन्दगी समझने की तमीज न उसे जीने की तरीका. उस समय मुझे प्यार हुआ जब मुझे खुद प्यार के बारे में नही पता था की प्यार कैसे होता है मगर इतना पता था की प्यार अचानक होता है. मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ जब मैंने उसे पहली बार लाल जेकेट में देखा. वो छत पर टहल रही थी और बला की खुबसूरत लग रही थी. मैंने उसे दिखा तो बस देखते ही रह गया. जब वो अपनी छत से नीचे उतर गयी तो मेरी नजरें बार बार उसे ढून्ढ रही थी. कि बस वो एक बार मुझे नजर आ जाये. शायद इसी को प्यार कहते हैं. जब तक मेरी नजर उस से मिली थी तब तक मेरी शादी हो चुकी थी. कहते हैं कि अगर जिन्दगी में कोई प्यार देने वाला हो तो उसे कहीं और जाने कि जरुरत नही. शायद मुझे मेरी बीवी से वो प्यार नही मिला जो मुझे मिलना चाहिए था. इसलिए मुझे शायद उसकी तरफ खिंचाव महसूस हुआ. मैंने धीरे-धीरे उसकी तरफ अपनी नजदीकियां बड़ाई. कभी कभी में किसी न किसी बहाने उस के घर में भी जाने लगा और उस से बात करने कि कोशिश करने लगा. मगर एक दिन अचानक वो मुझे अपने घर नजर नही आई तो मेरा दिल ये जानने को बचें होने लगा कि आखिर वो गयी कहाँ. मुझे दिल को चीर देने वाली बैचेनी होने लगी. मुझे उस दिन एहसास हुआ कि मैं सच में उसे प्यार करने लगा हूँ. जब मैंने उसके भाई को पूंछा तो पता चला कि वो अपनी दीदी के यहाँ गयी हुई है जिसको कि डिलेवरी  होने वाली है. वो वहां करीब २० दिन रही और वो दिन मेरे लिए सदियों कि तरह गुजरे. इस गुजरे हुए समय में मैंने ये सोच लिया कि जब वोह बापिस लौट कर आएगी तो मैं उस से अपने प्यार का इजहार कर दूंगा. जब वो वहां से लौट कर आई तो मैंने बिना समय बर्बाद किये उस से मिलने के लिए उस के घर पर पहुँच गया. जब मैंने वहां पहुँच कर  उस से उसकी दीदी कि तबियत के बारे में पूंछा तो तो वो कहने लगी कि आपको कैसे पता. तो मैंने कह दिया हमें तो अपनों का  ख़याल रखना पड़ेगा की कौन कब कहाँ जा रहा है. इसके बाद शायद उसे भी इस बात का एहसास  होने लगा की मैं उसे चाहने लगा हूँ और फिर वो भी मेरी तरफ झुकने लगी. उसे मेरे प्यार का यकीन तब आया जब मैंने उसे न्यू इअर पर ग्रीटिंग कार्ड दिया. दिल ही दिल में वो मुझे चाहने लगी और फिर आखिर उसने बैलेंटाइन डे पर मुझे फूल देकर अपने प्यार का इजहार कर दिया. मैं शादीशुदा था इस लिए मैंने सोचा की मैं उसे अपनी सच्चाई बता दूं मगर मैं डरता था की कहीं वो मुझे छोड़कर मुझसे दूर न चली जाये इसलिए मैं कुछ दिन उसे अपने बारे में नही बताया.वो गुमसुम सी घर के अन्दर रहने वाली एक सीधी साधी सी लड़की थी और घर से ज्यादा नही निकलती थी.मगर मैं उस से मिलने को तरसने लगा.इसी तरह तडपते हुए हमें करीब ६ महीने गुजर गये और इन ६ महीनो में हमारा प्यार परवान चड़ने लगा. जब मैंने पहली बार उसे मिलने के लिए कहा तो उसने मुझसे मिलने को तैयार हो गयी और वो अपनी एक सहेली के साथ पहली बार रेलबे रोड के क्वालिटी रेस्टोरेंट में मिली. वहां पर हमने सिर्फ कॉफ़ी पी इसके अलावा हमने एक दूसरे से कोई बात नही की.
 मेरी प्रेम कहानी जारी रहेगी....

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